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''जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।''इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है? |
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Answer» ''जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई। सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।'' इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है? |
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