1.

हिन्दी गद्य-साहित्य के विकास में द्विवेदी युग का निर्धारण कीजिए। इस युग की भाषा-शैली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी भी लिखिए।

Answer»

हिन्दी गद्य-साहित्य के विकास में सन् 1900 से 1920 ई० तक के समय को ‘द्विवेदी युग कहते हैं। आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के प्रयासों के फलस्वरूप इस युग में हिन्दी गद्य का रूप परिमार्जित, साहित्यिक एवं परिनिष्ठित हो गया। द्विवेदी युग के हिन्दी गद्य की  भाषा शुद्ध, व्याकरणनिष्ठ एवं परिष्कृत है। इस युग की रचनाओं में संस्कृत के तत्सम एवं तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू एवं अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। विचारात्मक, पाण्डित्यपूर्ण, व्यंग्यात्मक, विश्लेषणात्मक, आवेगशील, चित्रात्मक आदि शैलियों के प्रयोग इस युग की प्रमुख विशेषताएँ हैं।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions