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गरमियों में बरफ़ शिलाएँ पिघलकर हमारी प्यास बुझाती हैं? ऐसा लेखिका की सहेली ने किस संदर्भ में कहा? बढ़ते जल प्रदूषण को दूर करने के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?

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गरमियों में बरफ़ शिलाएँ पिघलकर हमारी प्यास बुझाती हैं। ऐसा लेखिका की सहेली ने प्रकृति द्वारा जल संरक्षण की अद्भुत व्यवस्था के संदर्भ में कहा है। प्रकृति सरदियों में बरफ़ के रूप में जल संग्रह कर लेती है और गरमियों में पानी के लिए हाय-तौबा मचने पर ये बरफ़ शिलाएँ पिघल-पिघलकर हमारी प्यास बुझाती हैं। बढ़ते जल प्रदूषण को दूर करने के लिए मैं निम्नलिखित उपाय एवं कार्य करना चाहूँगा- 

• नंदियों, झीलों तथा तालाबों में दूषित जल मिलने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक करूंगा। 

• फैक्ट्रियों का रसायनयुक्त कचरा इनमें मिलने से बचाने का अनुरोध करूंगा। 

• पूजा-पाठ की अवशिष्ट सामग्री नदियों में न डालने का अनुरोध करूंगा। 

• जल स्रोतों के निकट गंदगी न फैलाने का अनुरोध करूंगा।



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