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(ग) तापस बाला गंगा निर्मल, शशि मुख से दीपित मृदु करतललहरे उर पर कोमल कुंतल!गोरे अंगों पर सिहर-सिहर,लहराता तार-तरल सुन्दर,अंचल- अंचल-सा नीलांबर! |
| Answer» OPPORTUNITY for a COUPLE of YEARS, and a few DAYS AGO and | |