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एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं, तथा इसका अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल `2.5xx10^(-4)` मी`.^(2)` है और इसमें 3.0 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए की किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है? इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय आघूर्ण कितना है? |
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Answer» यदि धारावाही परिनालिका स्वतंत्रतापूर्वक लटकने पर N-S दिशा में ठहरती है। परिनालिका के सिरों की ध्रुवता धारा प्रवाह की दिशा पर निर्भर करती है। यदि कोई प्रेक्षक इसके एक सिरे की और से देखे तथा धारा वामावर्त प्रतीत हो, तो वह सिरा उत्तरी (N) ध्रुव होगा तथा दूसरा सिरा दक्षिण (S) ध्रुव होगा। चुम्बकीय आघूर्ण, `M="N i A"=800xx3.0xx2.5xx10^(-4)` `=0.60` ऐम्पियर-मीटर`.^(2)`। |
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