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दीपक के जलने में आलू फिर भी है जीवन की लाली किंतु पतंग भाग लिपि काली किसका बस चलता है दोनों और प्रेम पलता है जागृति गणपति रखती उसमें भी काम नहीं परिणाम निखरती मुझे वही खाल थी दोनों प्रेम और कभी तो पतले

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i am not ANSWERING you but i am SAYING you that i didn't know about HINDI LANGUAGE i am from PAKISTAN



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