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“डीठिन परत समान दुति, कनक, कनक-से गात।” इस पंक्ति द्वारा कवि ने नायिका की सुन्दरता के विषय में क्या विशेषता दिखाई है? दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» कवि इस पंक्ति में कह रहा है कि नायिका के स्वर्ण जैसे गौर वर्ण शरीर पर पहने गए सोने के आभूषण, एक जैसी चमक के कारण दिखाई नहीं पड़ते । केवल हाथों से छुए जाने पर कवि जताना चाहता है कि इसे सुन्दरी के शरीर की कान्ति सोने के समान है। किन्तु सोना उसकी बराबरी नहीं कर सकता। सोना कठोर है और नायिका के अंग कोमल हैं। |
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