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Answer» जनसंख्या की समस्या के समाधान के लिए हमें एक साथ कई उपाय करने पड़ेंगे। जन्म-दर को कम करने के लिए तत्कालीन एवं दीर्घकालीन उपाय किये जाने चाहिए। तत्कालीन उपायों में निरोध, नसबन्दी, लूप, ऑपरेशन आदि के लिए लोगों को प्रेरित करना तथा दीर्घकालीन उपायों में विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि, बाल-विवाह पर रोक, मनोरंजन के साधनों में वृद्धि, आत्म-संयम वे ब्रह्मचर्य के पालन के लिए लोगों को प्रेरित करना आदि हैं। इन उपायों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है 1. जन्म-दर में कमी करना – जनसंख्या-वृद्धि को सीमित करने के लिए यह आवश्यक है कि मृत्यु-दरे के साथ-साथ जन्म-दर में भी गिरावट लायी जाए। वर्ष 1951-60 में जन्म-दर 41.7% थी, जो 2011 ई० में 23% हो गयी। जन्म-दर में और अधिक कमी लायी जानी चाहिए। 2. साक्षरता तथा शिक्षा का प्रसार आवश्यक – शिक्षा के माध्यम से ही जन-साधारण में जनसंख्या-वृद्धि के विषय में जागरूकता लायी जा सकेगी। विकसित देशों में जनसंख्या-वृद्धि की समस्या न होने का प्रमुख कारण उनकी शत-प्रतिशत साक्षरता है। भारत में केवल केरल में ही साक्षरता अन्य प्रदेशों की अपेक्षा अधिक है। 3. स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल – जनसंख्या-वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में स्त्री-शिक्षा का विशेष महत्त्व है। केरल में स्त्रियों की साक्षरता प्रतिशत 91.98 है, जबकि उत्तर प्रदेश में 59.26 है। इसी कारण से उत्तर प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि की दर भी उच्च है। अत: जनसंख्या-वृद्धि पर नियन्त्रण हेतु स्त्री-शिक्षा पर विशेष बल देने की आवश्यकता है। 4. विवाह सम्बन्धी कानूनों का सख्ती से पालन – यद्यपि विवाह की न्यूनतम आयु कानूनी तौर पर निर्धारित है। बाल-विवाह वर्जित है, फिर भी ये बुराइयाँ समाज में यथावत् बनी हुई हैं। इनका सख्ती से पालन किया जाना भी आवश्यक है। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाया जा सकता है। 5. मनोरंजन के साधनों में वृद्धि – विशेष रूप से ग्रामीण तथा पिछड़े क्षेत्रों में मनोरंजन के साधनों में वृद्धि की जानी चाहिए। इनमें सिनेमा, सार्वजनिक दूरदर्शन की व्यवस्था, शिक्षाप्रद छोटी-छोटी फिल्मों का प्रदर्शन, अखाड़े, खेल-कूद प्रतियोगिताएँ आदि मुख्य हैं। मनोरंजन के साधनों में वृद्धि होने से जनसंख्या-वृद्धि पर भी नियन्त्रण लगेगा।
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