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अयमय खाँड़ न ऊखमय\' का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए। |
| Answer» विश्वामित्र ने परशुराम की अभिमानपूर्वक प्रकट की जाने वाली अपनी वीरता संबंधी बातों को सुन कर व्यंग्य भाव से कहा था कि मुनि को हरा-ही--हरा सूझ रहा था। वे सामान्य क्षत्रियों को सदा युद्ध\xa0में हराते रहे थे। इसलिए उन्हें लगने लगा था कि वे राम-लक्ष्मण को भी युद्ध\xa0में आसानी से हरा देंगे पर वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि ये दोनों साधारण क्षत्रिय नहीं थे। वे गन्ने से बनी खांड के समान नहीं थे बल्कि फौलाद के बने खांडे के समान थे। मुनि व्यर्थ में बेसमझ बने हुए थे और इनके प्रभाव को नहीं समझ पा रहे थे। | |