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आशय स्पष्ट कीजिएनीड न दो - चाहे टहनी का TAआश्रय छिन्न भिन्न कर डालोलेकिन पंख दिए हैं तोआकुल उडान में विघ्न न डालो"​

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आशय स्पष्ट कीजिए-

नीड न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न भिन्न कर डालो ,

लेकिन पंख दिए हैं तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो

यह पंक्तियाँ पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से लिया गया है| यह कविता श्री शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा लिखी गई है|

इन पंक्तियों के माध्यम से पक्षी यह दर्शाना चाहते है कि हमें रहने के लिए घोंसला भी न दो और टहनी के आश्रय भी मत दो | ईश्वर ने जो हमें पंख दिए है उड़ने के लिए उस में बाधा मत डालो , हमें कैद करके मत रखो | हमें स्वतंत्र रूप से उड़ने दो | हमें अपनी आज़ादी का मज़ा लेने दो |



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