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आपको किस प्रकार का जीवन पसन्द है? मधु की कल्पना को या बसन्त के विचारों का? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

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मुझको किस प्रकार का जीवन पसन्द है। मधु की कल्पना का अथवा बसन्त के विचारों का ? इस प्रश्न का उत्तर देने से पूर्व मैं मधु तथा वसन्त के जीवन सम्बन्धी विचारों पर दृष्टिपात करना पसन्द करूंगा।

मधु सुसंस्कृत तथा सभ्य जीवन को मनुष्य होने का लक्षण मानती है। कोई भी व्यक्ति स्वयं को असभ्य अथवा असंस्कृत कहलाना पसन्द नहीं करेगा। किन्तु संस्कृति और सभ्यता का मधु अपना अलग ही रूप है। इस रूप में यह न करो, ऐसा मत कहो आदि नकारपूर्ण आदेश हैं। उसमें कठोर नियन्त्रण और बन्धन है। इनको मानने से जीवन का आनन्द नष्ट हो जाता है तथा वह सुखद नहीं रह जाता। तौलिये को लेकर उसने अपने प्रेमी तथा पति बसन्त की नाकों में दम कर रखा है तथा परिवार में अशान्त और कलह का वातावरण पैदा कर दिया है।

बसन्त उदार, स्वच्छन्द तथा बाह्य नियन्त्रण मुक्त जीवन का पक्षपाती है। उसे जीवन की स्वाभाविकता अच्छी लगती है। नैसर्गिक जीवन में रस और आनन्द है। वह किसी भी तौलिये से अपना बदन पोंछ सकता है। मित्रों के साथ बिना पैर धोए रजाई में बैठकर चाय पी सकता है तथा गप्पें लड़ा सकता है। उसे इसमें कुछ भी अनुचित नहीं लगता। किन्तु मधु ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती।

उपर्युक्त बातों से स्पष्ट है कि बसन्त के विचार जीवन को स्वाभाविकता के साथ स्वीकार करने के पक्ष में हैं और मधु के विचार उसको दिखावटी के बंधन में बाँधने का समर्थन करते हैं।

मैं जीवन की स्वाभाविकता को स्वीकार करूंगा और बसन्त के पक्ष में समर्थन करूंगा।



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