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आदमी का जीवन उसकी अपनी व्यक्तिगत जायदाद क्यों नहीं है ? |
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Answer» हमारा जीवन एक शीशायर है। हम जो भी करते हैं, उसका प्रतिबिंब एक ही समय में सैकड़ों लोगों पर पड़ता है। हर आदमी पूर्णसंग्रह का अंश है। वह जो कुछ अपने लिए करता है, उसमें दूसरों का भाग होता है। दूसरे लोग जो कुछ करते हैं उससे वह प्रभावित होता है। इसलिए आदमी का जीवन उसकी अपनी व्यक्तिगत जायदाद नहीं है। |
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